पाकुड़ के लिटीपाड़ा में फलों की खेती और पशुपालन का डेमो मॉडल शुरू, आदिवासी किसानों को मिलेगा लाभ
पाकुड़ जिला के लिटीपाड़ा ब्लॉक स्थित बृशाग्राम कृषक पाठशाला में फल-आधारित कृषि मॉडल की शुरुआत की गई है। यहाँ कागजी नींबू, उन्नत आम, ताइवानी अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, सहजन, थाई कटहल, इमली, नारंगी और मौसमी जैसे पौधों का पौधारोपण किया गया। पवन कुमार, निदेशक, Scope Training & Consulting Pvt. Ltd., ने इसे एक डेमो मॉडल बताया, जिसमें किसानों को फल, सब्ज़ी उत्पादन, पशुपालन, लेयर फार्मिंग, और बकरी पालन की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह जगह भविष्य में FPO और स्थानीय पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित की जा रही है।
पाकुड़ के लिटीपाड़ा ब्लॉक में बृशाग्राम कृषक पाठशाला से शुरू हुआ फलों की खेती का डेमो मॉडल
झारखंड के पाकुड़ ज़िले के लिटीपाड़ा ब्लॉक अंतर्गत बृशा ग्राम कृषक पाठशाला में फल आधारित कृषि मॉडल की शुरुआत की गई है। Scope Training & Consulting Pvt. Ltd. के निदेशक पवन कुमार की उपस्थिति में कल यहां कागजी नींबू (सरबती) के पौधों का विस्तृत पौधारोपण किया गया।
पवन कुमार ने बताया कि यह केवल एक प्रारंभिक कदम है। इस पहल के अंतर्गत इस सीज़न में लगभग 2000 से अधिक कागजी नींबू के पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही 150 उच्च गुणवत्ता वाले आम के पौधे और ताइवानी पिंक किस्म के 2000+ अमरूद के पौधे भी रोपे जाएंगे।
इसके अतिरिक्त, यहां ड्रैगन फ्रूट की भी खेती की जाएगी। योजना के अनुसार, 1000 सहजन के पौधे, थाई किस्म के कटहल, इमली, नारंगी और मौसमी भी लगाए जाएंगे।
उन्होंने इसे डेमो मॉडल की संज्ञा दी, जिसका उद्देश्य आसपास के आदिवासी समुदाय को खेती-बाड़ी की नई दिशा और तकनीक से जोड़ना है। इस मॉडल के माध्यम से किसानों को यह दिखाया जाएगा कि किस प्रकार कम संसाधनों के साथ भी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती कर लाभ कमाया जा सकता है।
यहां एक गौशाला और अंडा उत्पादन हेतु लेयर फार्मिंग का डेमो सेटअप भी तैयार किया जा रहा है। साथ ही कुक्कुट पालन और बकरी पालन के प्रशिक्षण के लिए भी डेमो यूनिट बनाई जा रही है। पवन कुमार ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में यह स्थान पर्यटन के लिए एक आकर्षक केंद्र भी बन जाएगा।
पाठशाला में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे जिसमें किसानों को फल उत्पादन, पशुपालन, और हाईब्रिड सब्ज़ियों की खेती की तकनीकी जानकारी दी जाएगी। यह पूरा केंद्र एक संपूर्ण कृषि शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
पवन कुमार ने आगे बताया कि यहाँ एक FPO (Farmer Producer Organization) की भी स्थापना की जा रही है, जो भविष्य में किसानों को संगठित रूप से बाजार से जोड़ने और व्यावसायिक मॉडल के रूप में आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
इस पहल से न केवल स्थानीय स्तर पर स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि झारखंड में सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मॉडल के रूप में इसे पूरे राज्य में दोहराया जा सकेगा।
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