पाकुड़, झारखंड में ड्रैगन फ्रूट की खेती: बंजर ज़मीन से मुनाफे की फसल तक
झारखंड के पाकुड़ ज़िले में ड्रैगन फ्रूट की खेती से बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाया जा रहा है। जानिए कैसे किसान और प्रशासन मिलकर एक नई शुरुआत कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है जो अब भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है। यह फल शुष्क और बंजर ज़मीन पर उगता है और कम संसाधनों में अच्छा मुनाफा देता है।
सीकेडीएम हाई स्कूल, झिकरहट्टी में ड्रैगन फ्रूट की खेती की गई है। स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य दिलीप घोष और किसान मनरूल हक इस कार्य में शामिल हैं।
पाकुड़ के जिला उपायुक्त मनीष कुमार ने इस पहल का निरीक्षण किया और इसे "मॉडल फार्म" घोषित किया।
पाकुड़ ज़िले की पहल
पाकुड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती: बंजर ज़मीन से उम्मीद की फसल
क्या है ड्रैगन फ्रूट और इसकी खेती की ज़रूरत?
स्कूल की ज़मीन पर खेती
जिला उपायुक्त का सहयोग
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लाभ
खेती कैसे शुरू करें?
स्कोप ट्रेनिंग और कंसल्टिंग के निदेशक का दौरा
पवन कुमार, निदेशक Scope Training and Consulting, ने भी स्थल का दौरा किया और इस नवाचार की सराहना की।
झारखंड के पाकुड़ जिला उपायुक्त मनीष कुमार ने बंजर ज़मीन पर की जा रही ड्रैगन फ्रूट की खेती का स्थलीय निरीक्षण किया। यह पहल जिले के लिए एक आदर्श उदाहरण बन रही है।
वीडियो देखें
लगभग ₹2–3 लाख प्रति एकड़, शुरुआत में।
एक एकड़ में ₹4–₹20 लाख तक की सालाना आमदनी संभव है।
हां, यह फसल कम पानी और गर्म मौसम में भी अच्छी तरह उगती है।
वीडियो: पाकुड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती पर DC का निरीक्षण
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
ड्रैगन फ्रूट की खेती में कितना खर्च आता है?
कितनी कमाई हो सकती है?
क्या यह खेती झारखंड जैसे राज्य में संभव है?
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